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राग बिलाप-२७अब मैं भूली गुरु तोहार बतिया,डगर बताब मोहि दीजै न हो। टेकमानुष तन का पाय के रे नर,क्योंतन छूटे

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राग परजा-२५अब हम वह तो कुल उजियारी। टेकपांच पुत्र तो उदू के खाये, ननद खाइ गई चारी।पास परोसिन गोतिन खाई,

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शब्द-२६ जो लिखवे अधम को ज्ञान। टेकसाधु संगति कबहु के कीन्हा,दया धरम कबहू न कीन्हा,करजा काढ़ि के वेश्या राखै,रटत-रटत जग

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राग झंझोटी-२८सुतु ब्रह्म जन्म गंववसे हरि भक्ति बिना टेकका धेअंगोछा धारे,तिलक चढ़ाए चन्दना।अगकान पकड़ि मूढ़ लिए लटकाई,नेवाय करे रटना,सुरा कटाय

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 मगलाचरण दोहा कहै कबीर सुनोबन्दो सत्यहाड़ चुसि गाड़े अञ्जना,जारु अहित भये मगना।ओ ब्राह्मण,उत्तम जन्म गवाए अपना।कबीर के,चरण कमल सिरनाय ।जासु

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भजन ध्वनि प्रभाति-२६ढूंढ़ मैं हारा मेरे सतयुग,मिला न दरश तुम्हारा। टेकहरिद्वारा ।गिरनाना।संसार ।बहुबारा ।बहु संयम नियम अचारा ।यामेश्वर जगदीश द्वारिका,बद्रीनाथकाशी

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