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भजन ध्वनि प्रभाति-२६
ढूंढ़ मैं हारा मेरे सतयुग,
मिला न दरश तुम्हारा। टेक
हरिद्वारा ।
गिरनाना।
संसार ।
बहुबारा ।
बहु संयम नियम अचारा ।
यामेश्वर जगदीश द्वारिका,
बद्रीनाथ
काशी मथुरा और अयोध्या,
टूढ़ा
गिरी
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,
परनाम |२
भटका
अरसठ तीरथ में फिर आया,
सब
दरश
हे तु
जप तप व्रत उपवास किये,
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