भजन राग देश ८१ हमका ओढ़ावे चदरिया चलती बिरिया,उलट गई दोप्राण राम जब निकसन लागे।नैन पुतरिया,भीतर से जब बाहर लाये।अटरिया।चारि जना मिल खाट उठाइल।छूट, गई महलरोवत ले चले डगरिया ।कहत कबीर सुनो भाई साधो।चली वह सूखी लकड़िया।
भजन राग देश ८१ – हमका ओढ़ावे चदरिया चलती बिरिया,
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