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आनंद की आहट: पीले प्याला हो मतवाला प्याला – कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ class 6

kabir

Kabir ke Shabd

कबीर भजन श्याम कल्याण
पीले प्याला हो मतवाला प्याला, नाम अमिट रस का रे।
बालापन सब खेल गंवाया, तरुण भयो बरा नारि का
वृद्ध भयो कफ वायु का घेरा, खाट नहिं जाय खिसका
बिना सदगुरु इतना दुख पाया, भेद मिले नहीं इसका
तिरिया संग कोई नहीं जाय सकता माता पिता बन्धु सुत
जब लग जिए- हरिगुण गा धन यौवन है, दिन दस का रे।
कहे कबीर सुनो भाई साध दुख सब पूरा रहा मिटाका रे।
जो उगरा चाहे छोड़ कामिनी का चसका कहै कबीर सुनो भाई साधो,
नख सब पूरा रटा विशका
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