शब्द-२६
जो लिखवे अधम को ज्ञान। टेक
साधु संगति कबहु के कीन्हा,
दया धरम कबहू न कीन्हा,
करजा काढ़ि के वेश्या राखै,
रटत-रटत जग जन्म सिराना।
नहीं लागे सतगुरु का ताना।
साधु आए तो घर नहिं दाना।
कहै कबीर जब जम घर जैंहें,
मारहि मार उठे
शब्द-२६
जो लिखवे अधम को ज्ञान। टेक
साधु संगति कबहु के कीन्हा,
दया धरम कबहू न कीन्हा,
करजा काढ़ि के वेश्या राखै,
रटत-रटत जग जन्म सिराना।
नहीं लागे सतगुरु का ताना।
साधु आए तो घर नहिं दाना।
कहै कबीर जब जम घर जैंहें,
मारहि मार उठे
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