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 ना मैं भृकुटि भंवर गुफा में,

सब
स्वासन की सांस में।
खोजो हाय तुरन्त मिल जाऊं,
एक पल की ही तलाश में।
विश्वास में ।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो,
मैं तो हूं

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