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के मनवा मां रे कह्यो-Kabir Ke Shabd-ke manvaa maan re kahyo।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द
के मनवा मां रे कह्यो।

सत्तनाम एक सार जगत में, भूल क्यों गयो।।

बन्द कोठड़ी बीच अंधेरा, नो दस मास रह्यो।
बाहर आन के भूल गयो, क्यूँ जर में लिपट रह्यो।।

भांति भांति के भोजन चाहिए, वस्त्र नित नयो।
घड़ी पलक को दुःख अँधियारो, यो न जाए सह्यो।।

ना तो तन मन वश में कीन्ह्यो, तृष्णा नै आन गह्यो।
काम क्रोध की मझधारा में, अब क्यूँ जाए बह्यो।।

मान-२ मत करै मान जा, लंकापति गयो।
साहिब कबीर के शब्दा तै, पापी को भी गर्भ गयो।।
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