Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
झूठा है सँसार सारा, कैसा तेरा नाता रे।।
कौन संग में आया भाई, कौन संग में जाता।
सुत दारा और माल खजाना, सभी यहीं रह जाता।।
नर नारायण चोला पाया, बार बार नहीं आता।
इबकै चूकै फिरै चौरासी, यम मारेगा लातां।।
इबकै चूकै फिरै चौरासी, यम मारेगा लातां।।
स्वार्थ से सब लिपट रहे हैं, भाई पिता और माता।
यहीं मिले और यहीं बिछुड़ते, किससे प्रीत लगाता।।
यहीं मिले और यहीं बिछुड़ते, किससे प्रीत लगाता।।
किया कर्म तेरे संग जाएगा, जग में बात बताता।
जैसी करनी वैसी भरनी, करनी का फल पाता।।
जैसी करनी वैसी भरनी, करनी का फल पाता।।
सद्गुरु ताराचंद कह समझ कंवर, क्यों वृथा जन्म गंवाता।
करना चाहवै जन्म सफल,सद्गुरु से जोड़ो नाता।।
करना चाहवै जन्म सफल,सद्गुरु से जोड़ो नाता।।