Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की, हर चीज यहाँ की फानी।
मेरे साधो भाई, समजो ये भर्म कहानी।।
दो पल तो बचपन के बीते,दो पल रहत जवानी।
पता चले ना पल में तेरी, बीत जाए जिंदगानी।।
पता चले ना पल में तेरी, बीत जाए जिंदगानी।।
कुल कुटुम्ब और धन संपत्ति, सदा नहीं रहानी।
कालबली जब चाहवै खो दे,बतासे जैसे पानी।।
कालबली जब चाहवै खो दे,बतासे जैसे पानी।।
दुविधा दुचित लगी हुई, माया में जीव फँसानी।
जम राजा की फिरै दुहाई, चार खान भरमानी।।
जम राजा की फिरै दुहाई, चार खान भरमानी।।
सद्गुरु ताराचंद सन्त वक्त के, देते ज्ञान रूहानी।
छोड़ो दुनिया शरण सम्भालो, मिट जाए आनी जानी।।
छोड़ो दुनिया शरण सम्भालो, मिट जाए आनी जानी।।