Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
अमरपुर ले चलो सजना।
अमरपुरी में खुली है बजरिया, सौदा तो कर चलना।
अमरपुरी की भीड़ी-२ गलियां, लड़भीड़ के चलना।।
ठोकर लगी मेरे ज्ञान शब्द की, खुल गई झपना।
अमरपुरी में सन्त बसत हैं, वहीं पुरुष अपना।।
सन्त समाज सभा जहां बैठी, दर्शन कर चलना।
कह कमाली कबीरा थारी बाली, सन्त नाम जपना।।
कह कमाली कबीरा थारी बाली, सन्त नाम जपना।।