Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
लेले टिकट नाम की भाई, ये जहाज अमरपुर जागा।
सोने का ये वक्त नहीं है,जाग-२ फिर सोवै ना।
हीरे जैसा जन्म मिला है,कोड़ी की तरह खोवै ना।
तेरा तुझ में छिपा हुआ है, पत्थर पानी टोहवै ना।
पूजा पाठ व्रत करो कितने, इनते फायदा होवै ना।
जहाज किनारे से लंग जावै,फेर के होगा फायदा।।
हीरे जैसा जन्म मिला है,कोड़ी की तरह खोवै ना।
तेरा तुझ में छिपा हुआ है, पत्थर पानी टोहवै ना।
पूजा पाठ व्रत करो कितने, इनते फायदा होवै ना।
जहाज किनारे से लंग जावै,फेर के होगा फायदा।।
जिनको तुं तेरा कहता है, सभी किनारा कर जांगे।
वक्त पड़े पै कोए ना बुझै, सारे धोरा धर जांगे।
करनी पार उतरनी सारे भाग तेरे जग जांगे।
पाप पुण्य बुरे भले सब, तेरी आख्या आगे फिर जांगे।
बेटे पोते सभी करें नफरत, कोए कम कोए ज्यादा।।
वक्त पड़े पै कोए ना बुझै, सारे धोरा धर जांगे।
करनी पार उतरनी सारे भाग तेरे जग जांगे।
पाप पुण्य बुरे भले सब, तेरी आख्या आगे फिर जांगे।
बेटे पोते सभी करें नफरत, कोए कम कोए ज्यादा।।
बिना टिकट जो पकड़े जाते रस्ते बीच उतारेंगे।
यम के दूत फिरें चोगिरदे, तन पे कोड़े मरेंगे।
बिना टिकट बालू के ताते तेल कढाई डारेंगे।
कोई न अपील सुनेगा,भट्ठी के मा डारेंगें।
वहां का अफसर बड़ा सख्त है,रखता पक्का वादा।
सवर्ग बैकुंठ इंद्रलोक ये, सब रस्ते में आवेंगें।
जहां पे जिसकी मंजिल आजा,वहीं उतरते जावेंगें।
रस्ते के मा मिलें लुटेरे, वै अपना दांव लगावेंगे।
रिद्धि सिद्धि शक्ति देके, बहुत भुलाना चाहवेंगे।
यम के दूत फिरें चोगिरदे, तन पे कोड़े मरेंगे।
बिना टिकट बालू के ताते तेल कढाई डारेंगे।
कोई न अपील सुनेगा,भट्ठी के मा डारेंगें।
वहां का अफसर बड़ा सख्त है,रखता पक्का वादा।
सवर्ग बैकुंठ इंद्रलोक ये, सब रस्ते में आवेंगें।
जहां पे जिसकी मंजिल आजा,वहीं उतरते जावेंगें।
रस्ते के मा मिलें लुटेरे, वै अपना दांव लगावेंगे।
रिद्धि सिद्धि शक्ति देके, बहुत भुलाना चाहवेंगे।
भांति-२ का देकै लालच , कहेंगें आजा-२।
सतगुरु ताराचंद जहाज के,फेर रहा बता के खटका।
सूरत शब्द का मेल साधले, भूल भर्म में क्यों भटका।
श्रद्धा और विश्वासराख कै, गुरु वचन पे तुं डटजा।
प्रेम की डोरी जोड़ जुगत से,चौरासी छीन में कटजा।
कंवर ओट ले शरण गुरु की,जीवन सफल बनाजा।।