किसान और राजा
एक राजा अपने मंत्री के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में एक किसान को हल पर पाँव और नीचे के कुरह में माथा रखकर सोते देखा। । राजा ने मंत्री से कहा इसे नींद कैसे आयी होगी मंत्री ने कहा इस प्रकार का यह आदि हो गया होगा। राजा ने फिर कहा नहीं, प्रभु ने इसका शरीर ही ऐसा बनाया है। मंत्री चुप हो गया। उसने किसान को जगाया और राज्य में ले आया।
वहाँ पर उसे अच्छाअच्छा खाना और पहनने के लिए उत्तम वस्त्र दिये। सोने के लिए उसे रेशमी गद्दा दिया गया जो तनिक भी न गड़े। इस प्रकार छः: माह व्यतीत हो गये। । मंत्री ने एक दिन किसान के बिछौने पर थोड़े से बाल और बिनौले रखवा दिये। इस कारण किसान को सारी रात नींद नहीं आई। वह प्रात: काल होने पर सोचने लगा यह रात बड़ी मुश्किल से कटी, मानो किसी ने मोटे-मोटे लक्कड़ या पत्थर के टुकड़े रख दिये हों।
तब मंत्री ने राजा से कहा राजन्! देखिये यह किसान उस समय हल पर माथा रखकर किस तरह सो रहा था, ‘ परन्तु अब बिछौने पर रखे हुए बाल, लकड़ी के टुकड़े और , बिनौले इसे पत्थर के कण मालूम होते हैं। यह सब अभ्यास के ही कारण है। है तब राजा ने भी मंत्री की बात मान ली कि यह सब । अभ्यास के कारण ही है।