Home Kabir ke Shabd अरज गरज मानें नहीं – कवि रहीम -12

अरज गरज मानें नहीं – कवि रहीम -12

0 second read
0
0
89

अरज गरज मानें नहीं

अरज गरज मानें नहीं, रहिमन ए! जन चारि।

रिनिया, राजा, मांगता, काम आतुरी नारि।।12॥।
अर्थ—कवि रहीम कहते हैं कि कर्जदार, राजा, याचक और काम-वासना से व्याकुल स्त्री—यह चार प्राणी प्रार्थना और गर्जना को नहीं मानते।
भाव—रहीम कवि ने यहां चार प्रकार के प्राणियों के स्वभाव का खुलासा किया है। उनका कहना है कि जिस व्यक्ति ने कर्ज लिया हो, ऐसा कर्जदार, राजा, भिखारी और कामुक स्त्री, ये चार प्राणी कभी भी किसी की प्रार्थना और धमकी के सामने नहीं झुकते। ये अपनी आदतों और स्वभाव के कारण उन्हीं में मस्त रहते हैं और उन्हीं के अनुसार कार्य करते हैं। ऐसे लोगों से चाहे जितनी विनती करो, वे नहीं मानेंगे। चाहे जितना ही इन्हें धमकाओ या डराओ, उन पर असर नहीं होगा। ये लोग अपनी मर्जी के मालिक होते हैं। इनके गुण और कर्म ही उन पर हावी रहते हैं। ये आदतों के दास होते हैं।
Load More Related Articles
Load More By amitgupta
Load More In Kabir ke Shabd

Leave a Reply

Check Also

What is Account Master & How to Create Modify and Delete

What is Account Master & How to Create Modify and Delete Administration > Masters &…