अनकीन्हीं बातें करे
अनकीन्हीं बातें करे, सोवत जागै जोय।
द ताहि सिखाय जगायबो’ रहिमन उचित न होय।। 51।
अर्थ—जो व्यक्ति अकथनीय वार्तालाप करे और जाग्रत करने पर… भी सोता रहे। कवि रहीम कहते हैं कि उस मनुष्य को जाग्रत होने की शिक्षा देना उचित नहीं है।
भाव—भाव यही है कि सोते हुए व्यक्ति को नहीं जगाया जा सकता अर्थात जिसने अपने जीवन में कुछ न करने या न सुधरने की कसम खाई हुईं हो, उसे कौन सुधार सकता है या सही मार्ग पर ला सकता है। ऐसे व्यक्ति को शिक्षा देना चिकने घड़े पर पानी डालने जैसा होता है या रेत में पानी की कुछ बूंदें टपकाना होता है। कहने का आशय यही है कि निकम्मे आदमी को सही मार्ग पर लाना अत्यंत कठिन और दुष्कर कार्य है।