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अब रहीम चुप करि रहउ-कवि रहीम-8

अब रहीम चुप करि रहउ-कवि रहीम

अब रहीम चुप करि रहउ,’ समुझि” दिननकर’ फेर।

जब दिन नीके’आइ हैं बनत न लगि है देर।। 8।।
अर्थ-कवि रहीम कहते हैं कि बुरे दिनों के चक्र को समझकर अब मैं मौन धारण करके रहूंगा। जब जीवन में अच्छे दिन आएंगे तो कार्य बनते देर नहीं लगेगी। भाव–कवि का कहना है कि जीवन में अच्छे और बुरे दिन सभी के साथ लगे रहते हैं, लेकिन बुरे दिन आने पर हमें धैय॑ नहीं खोना चाहिए बल्कि धैर्य के साथ बुरे दिनों का सामना करना चाहिए और ,  चुपचाप बिना शोर मचाए उन कष्टों को सहन करना चाहिए, जो ऐसे  समय में हमारे जीवन में आ गए हैं। क्योंकि जिस प्रकार रात्रि के बाद दिन आता है अर्थात अंधकार के बाद प्रकाश आता है, उसी प्रकार अच्छे आने पर दुखों और कष्टों से मुक्ति पाकर जीवन को सुख के क्षणों से भरा जा सकता है। इसीलिए अच्छे दिनों के आने की आशा में बुरे दिनों के समय को धैयपूर्वक सहन करना चाहिए।
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