अनुचित उचित रहीम लघु
अनुचित उचित रहीम लघु, करहिं बड़ेन के जोर।
ज्यों ससि के संजोग तें, पंचवत आंगि चकोर।। 6॥
अर्थ–कवि रहीम कहते हैं कि छोटे व्यक्ति भी अनुचित कार्य को बढ़े लोगों के संपर्क से उचित रूप में कर देते हैं। जैसे–चंद्रमा के संसर्ग से चकोर पक्षी आग को भी पचा जाता है।