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उरग, तुरंग, नारी, नृपति, नीच जाति, हथियार – कवि रहीम -17

उरग, तुरंग, नारी, नृपति, नीच जाति, हथियार

उरग, तुरंग, नारी, नृपति, नीच जाति, हथियार।

रहिमन इन्हें संभारिएण, पलटत लगै न बार।। 171।

अर्थ—कवि रहीम कहते हैं कि सांप, घोड़े, स्त्री, राजा, नीच जाति के व्यक्ति और अस्त्रों को सावधानीपूर्वक संभालना चाहिए, क्योंकि इनके विपरीत होने में विलंब नहीं लगता।

 भाव—यहां कवि ने ऐसे जीवों के बारे में बताया है, जो किसी भी समय विपरीत आचरण करने के लिए प्रसिद्ध हैं। जैसे–सांप, घोड़ा, स्‍त्री, राजा, नीच जाति का व्यक्ति और अस्त्र (हथियार)। इन सभी के साथ सावधानीपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। सांप छेड़ने पर काट लेता है, घोड़ा बिगड़ जाए तो सवार को गिरा सकता है, स्त्री कभी भी धोखा दे सकती है, राजा कभी भी नाराज हो सकता है, नीच व्यक्ति कभी भी दगा दे सकता है और हथियार को यदि सावधानीपूर्वक न चलाया जाए तो वह चलाने वाले का ही अहित कर सकता है, अतः सावधानी के साथ इनसे व्यवहार करें।

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