Search

आप न काहू काम के – कवि रहीम -15

आप न काहू काम के

आप न काहू काम के, डार पात फल फूल।

औरन को रोकत फिरें, रहिमन पेड़! बबूल।। 15॥

अर्थ–कवि रहीम कहते हैं, जैसे बबून के पेड़ की शाखा, पत्ते, फल और फूल किसी काम के नहीं होते अर्थात अन्य पेड़ों के विकास को भी रोक लेते हैं, उसी प्रकार अनेक व्यक्ति व्यर्थ जन्म लेकर दूसरे व्यक्तियों के जीवन में भी बाधक बन जाते हैं।

भाव—कुछ लोग जीवन-भर कुछ कर्म नहीं करते। वे दूसरों पर बोझ बने रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों का जीवन बबूल के पेड़ के समान होता है, जिसका कोई उपयोग नहीं होता। जिस प्रकार बबूल के वृक्ष की शाखाओं से, पत्तों से फल और फूल से कोई लाभ नहीं होता, उसी प्रकार निकम्मे लोगों का साथ करने से भी कोई लाभ नहीं होता। ऐसे व्यक्ति स्वयं अपना तो अहित करते ही हैं, दूसरों के विकास में भी बाधक बन जाते हैं।
टिपणी–किंतु आजकल बबूल के वृक्ष के अनेक लाभ हैं। वह दवाओं में प्रयोग होता है।

Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply