हमें मृत्यु का भय नहीं है
हैहय क्षत्रियों के वंश में एक परपूज्ये नामक राजकुमार हो गये हैं। एक बार वे वन में आखेट के लिये गये। वृक्षों की आड़ से उन्होंने दूर पर एक मृग का कुछ शरीर देखा और बाण छोड़ दिया। पास जाने पर उन्हें पता लगा कि मृग के धोखे में उन्होंने मृगचर्म ओढ़े एक मुनि को मार डाला है। इस ब्रह्म हत्या के कारण उन्हें बड़ा पश्चात्ताप हुआ। दुःखित होकर वे अपने नगर में लौट आये और अपने नरेश से सब बातें उन्होंने सच-सच कह दीं।