श्री अवध में सरयू के किनारे एक महात्मा थे। वे एक ऊँचे मचान पर रहते थे। वे किसी से बोलते नहीं थे। जब उनको भगवान् के दर्शन करने की मन में आती।
तब वे सरयू जी से कहते ‘बहिनी! तनि रस्तवा द हो’ यह कहकर सरयू में से जाकर कनक भवन में भगवान् का दर्शन करके फिर इसी तरह कहकर वापस मचान पर आ जाते थे। -कु० रा०