भटकता मन
एक ग्राम में दो मित्र रहते थे। वे हमेशा साथ-साथ घमते फिरते, उठते-बैठते और विचार-विमर्श करते थे। एक दिन एक मित्र बोला चलो हम मंदिर में कथा सुनने चलते हें। दूसरा मित्र बोला–कथा में क्या रखा है? यह तो व॒द्धावस्था का काम है। चलो, हम लोग खेलते हैं। उससे कुछ आनन्द भी प्राप्त होगा। इस प्रकार दोनों का मत एक दूसरे से नहीं मिला।