वह सत्य सत्य नहीं,
जो निर्दोष की हत्या में कारण हो
सैकड़ों साल बीत गये, किन्हीं दो नदियों के पवित्र संगम पर एक तपोधन ब्राह्मण रहते थे। उनका नाम कौशिक था। वे अपने जीवन का प्रत्येक क्षण शास्त्र सम्मत धर्माचरण में बिताते थे, उनकी मनोवृत्ति सात्तिवक थी. वे नियमपूर्वक संगम पर स्नान करके त्रिकाल संध्या करते थे तथा भूल से भी किसी का मन नहीं दुखाते थे। उनके निष्कपट व्यवहार की प्रशंसा दूर दूर तक फैल गयी थी।