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विनायक जी की कथा – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

विनायक जी की कथा 

एक गांव में दो मां बेटी थीं। बेटी अपनी मां से बोली कि गांव से सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं, में भी मेले में जाऊंगी। मां बोली कि वहां पर बहुत भीड़ होगी कहीं गिर पड़ गई तो चोट लगेगी। बेटी ने मां की बात नहीं मानी तो मां ने बेटी को दो लड्डू ओर घंटी में पानी देकर कहा कि एक लड्‌डू तो गणेशजी को खिलाकर पानी पिला देना, दूसरा लड्डू तुम खाकर बचा हुआ पानी पी लेना बेटी मेले में चली गई। मेला समाप्त होने पर सभी गांववासी वापिस आ गए परन्तु उसकी बटी नहीं आई। वह गणेश के पास बेठी रही। 
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एक लड्डू पानी गणेश जी तुम्हें और एक लड्‌डू पानी मुझे इस तरह कहते हुए पूरी रात बीत गई। गणेशजी ने सोचा कि यदि आज मैं लड्डू खाकर पानी नहीं पीऊंगा तो यह अपने घर नहीं जायेगी। इसलिए गणेशजी लड़के का रूप में आए। बेटी से लड्डू लेकर खाया व पानी पीया ओर कहा-कुछ मांगो। बेटी मन में बोली कि क्या मांगू, अन्न मांगू, धन मांगू, महल मांगू, सुहाग मांगू, खेत मांगू, बेल मांगू, बस इतना ही मांग लेती हूं। गणेश जी उसके मन की बात जानकर बोले-अब अपने घर जाओ, जो तुमने मन में सोचा है वह सब तुझे मिलेगा। बेटी घर पहुंची तो मां ने पूछा कि इतनी देर केसे हो गई। बेटी ने कहा कि आपके कहे अनुसार में गणेश जी को लड्डू खिलाकर, पानी पिलाकर आई हूं ओर देखते ही देखते जो कुछ बेटी ने मन में सोचा था वह सब कुछ उनके घर में हो गया। हे गणेशजी महाराज! जैसे उन मां बेटी पर बरसे वैसे ही कहते सुनते हर किसी पर बरसो। गणेश जी महाराज की जय। 
विशेष: कहीं-कहीं पर केवल आज के दिन सूरज ओर चन्द्रमा को अर्घ्य देते समय स्त्रियां हाथ में सोने की अंगूठी लेकर अर्ध्य देती हैं और यह दोहा कहती हैं: 
सोने की मुद्रा, मोतियन का हारा। चन्द्र (सूरज ) को अर्ध्य देती, जियो मेरे वीर भरतारा॥
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