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नितनेम बाबा की कथा है – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

नितनेम बाबा की कथा है 

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एक गांव में छोटी सी लड़की थी वह रोज नियम पूर्वक नितनेम बाबा की पूजा करती थी। भाभी बोली-काम की ना धाम की सारे दिन नितनेम नितनेम करती रहती है। लड़की एक टाँग से खड़ी होकर बोली-हे! नितनेम बाबा जो में संच्चे मन से ध्याती हूँ तो सोने की मूर्ति बनकर मन्दिर में विराजो भगवान का सिंहासन डोला। छोटी-सी लड़की तप कर रही है तो नितनेम बाबा सोने की मूर्ति बन कर मन्दिर में विराजमान हो गये। लड़की ने आंख खोली तो देखा कि सोने की मूर्ति बनकर आले में रखी है! अब आवाज दी-देख ले भाभी, नितनेम बाबा, माँ देख ले नितनेम बाबा, माँ ध्यावे, भाभी भी ध्यावे। हे नितनेम बाबा जैसे छोटी लड़की का सत्‌ रख वैसा सबका रखना कहते-सुनते हुंकारा भरते का। 
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