बुद्धि हीनता
एक बार की बात है कि बड़े भाई ने अपनी पत्नी को ससुराल से लाने के लिए अपने छोटे भाई को भेजा और उसे समझाया कि तुमसे जो भी कुछ पूछा जाये उसका उत्तर सोच समझकर देना। छोटे भाई ने क्रम से एक कागज पर हां, नहीं लिख लिया।
जब छोटा भाई ससुराल पहुंचा तो वहां पर श्वसुर ने पूछा कि घर पर सब राजी खुशी हैं। छोटे भाई ने उत्तर हाँ में दिया। ससुर ने फिर पूछा – लालाजी की तबियत तो ठीक है? उसने कहा – नहीं। ससुर ने पूछा – क्या बीमार है? उसने कहा – हा। है फिर ससुर ने पूछा – दवा चल रही है? उसने उत्तर दिया – नहीं ।
ससुर जी ने पूछा – क्या सख्त बीमार हैं? उसने उत्तर दिया – हाँ। ससुर ने पूछा – वे जीवित तो हैं? उसने उत्तर दिया -नहीं ।
यह सुनकर सभी लोगों ने रोना पीटना शुरू कर दिया। श्वसुर जी बोले – हम स्वयं ही तेरह दिन बाद इसे लेकर तुम्हारे यहाँ आवेंगे। जब वह लौटकर अपने घर पहुँचा तो भाई ने पूछा – उसे क्यों नहीं लाया? छोटे भाई ने उत्तर दिया – वे स्वयं उसे लेकर आयेंगे।
तेरह दिन बाद जब वे आये तथा जमाई को जिंदा पाया तो उन्होंने बड़े आश्चर्य से सभी समाचार सुनाये। इस समाचार को सुनकर उसने अपने भाई की योग्यता को परख लिया।