धन तेरस की कथा
एक दिन भगवान विष्णु मृत्यु लोक में विचरण करने के लिए लक्ष्मी सहित भूमण्डल पर आये। कुछ देर बाद लक्ष्मी से बोले-मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं तुम उधर मत देखना। यह कह ज्यों ही भगवान ने राह पकड़ी त्योंही लक्ष्मी पीछे पीछे चल पड़ी। कुछ ही दूर पर सरसों का खेत दिखाई दिया। उसके बाद ऊख तोड़कर चूसने लगी। तत्क्षण भगवान लोट आये ओर यह देखकर लक्ष्मी पर क्रोधित होकर शाप दिया कि जिस फिसान का यह खेत है 12 वर्ष तक उसकी सेवा करो। ऐसा कहकर भगवान क्षीरसागर चले गये। और लक्ष्मी ने किसान के यहां जाकर धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। तत्पश्चात् 12 वर्ष के बाद लक्ष्मी जी जाने के लिए तैयार हुई किन्तु किसान ने रोक लिया। भगवान जब किसान के यहां लक्ष्मी को बुलाने आये तो किसान ने लक्ष्मी को नहीं जाने दिया। तब भगवान बोले-तुम परिवार सहित गंगा जाकर स्नान करो और इन कोडियों को भी जल में छोड देना। जब तक नहीं लोटोगे तब तक में नहीं जाऊंगी।
किसान ने ऐसा ही किया। जैसे ही उसने गंगा में कोढियां डाली वैसे ही गंगा में से चार चतुर्भुज निकले और कौढ़िया लेकर चलने को उद्यत हुए। जब किसान ने ऐसा आश्चर्य देखा तो गंगा, जी से पूछा कि-ये चार भुजाएं किसकी थी, गंगा जी ने बताया कि-हे किसान वे चारों हाथ मेरे ही थे, तूने जो कौढ़ियां मुझे भेंट की हैं, वे किसकी दी हुई हैं?
किसान बोला-मेरे घर में दो सज्जन आए हैं, उन्होंने ही दी हैं।
गंगाजी बोले-तुम्हारे घर जो स्त्री है वह लक्ष्मी है और पुरुष विष्णु भगवान हैं। तुम लक्ष्मी को जाने देना, नहीं तो पुनः उसी भांति निर्धन हो जाओगे। यह सुन जब वह घर लोटा तो भगवान से बोला कि-मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूंगा। तब भगवान ने किसान को समझाया कि इनको मेरा श्राप था जो कि बारह वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही हैं। फिर लक्ष्मी चंचल हैं। इनको बड़े बड़े नहीं रोक सके। किसान ने हठपूर्वक पुन: कहा-नहीं, मैं लक्ष्मी जी को नहीं जाने दूंगा। इस पर लक्ष्मी जी न स्वयं कहा कि-हे किसान! यदि तुम मुझे रोकना चाहते हो तो सुनो। कल धन तेरस है, तुम अपना घर स्वच्छ रखो। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना, तब में तुम्हारे घर आऊंगी। उस समय तुम मेरी पूजा करना किन्तु में तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी। किसान ने कहा-ठीक है, में ऐसा ही करूगा। इतना कहा ओर सुन लेने के बाद लक्ष्मी जी दशों दिशाओं में फेल गई, भगवान देखते ही रह गये। दूसरे दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कथानुसार पूजन किया। उसका घर धन धान्य से पूर्ण हो गया। इसी भांति वह हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा करने लगा। उस किसान को ऐसा करते देखकर कितने ही लोगों ने पूजा करना शुरू कर दिया।