भेरव जयन्ती की कहानी
एक बार ब्रह्मा तथा विष्णु में यह विवाद छिड़ गया कि विश्व का धरणहार तथा परम तत्व कौन हे? इस विवाद को हल करने के लिए महर्षियों को बुलाया गया। महर्षियों ने निर्णय दिया कि “परम तत्व कोई अव्यक्त सत्ता है। ब्रह्मा तथा विष्णु उसी विभूति से बने हैं।” विष्णुजी ने ऋषियों की बात मान ली परन्तु ब्रह्माजी ने यह स्वीकार नहीं किया। वे अपने को ही परमतत्व मानते थे। परमतत्व की अवज्ञा बहुत बड़ा अपमान था। शिवजी ने तत्काल भैरव का रूप धारण करके ब्रह्मा का अष्टमी के दिन गर्व चूर चूर कर दिया। इसलिए इस दिन को भैरव अष्टमी कहा जाने लगा।