भैरव जयन्ती
मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भेरव जयन्ती मनाई जाती है। इसे कालाष्टमी भी कहते हैं। इस तिथि को भैरव जी का जन्म हुआ था। इस दिन ब्रत रखकर जल अर्ध्य देकर भैरव जी का पूजन करते है।भैरवजी की सवारी कुत्ता है। इसलिए कुत्ते का भी पूजन करते हैं। रात्रि जागरण करके शिव पार्वती की कथा सुननी चाहिए। भेरवजी का मुख्य हथियार “दण्ड’ है, जिसके कारण इन्हें ‘दण्डपति’ भी कहते हैं। भगवान शिव के दो रूप हैं-भेरव और विश्वनाथ। भैरव का दिन रविवार और मंगलवार माना जाता है। इन दोनों दिन इनकी पूजा से भूत प्रेत बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।