बैकुण्ठ चतुर्दशी की कहानी (1)
एक बार नारदजी बैकुण्ठ में भगवान विष्णु के पास गये। विष्णुजी ने नारदजी से आने का कारण पूछा। नारदजी बोले, “भगवन आपको पृथ्वीवासी कृपा निधान कहते हें। किन्तु इससे तो केवल आपके प्रिय भक्त ही तर पाते हैं। साधारण नर नारी नहीं। इसलिए कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे साधारण नर नारी भी आपकी कृपा के पात्र बन जाए।” इस पर भगवान बोल, “नारद कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को जो नर नारी व्रत का पालन करते हुए भक्तिपूर्वक मेरी पूजा करेगें उनको स्वर्ग प्राप्त होगा।” इसके बाद विष्णु ने जय-विजय को बुलाकर आदेश दिया कि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को स्वर्ग के द्वार खुले रखे जायें। भगवान ने यह भी बताया कि इस दिन जो मनुष्य किचित् मात्र भी मेरा नाम लेकर पूजा करेगा उसे बैकुण्ठधाम प्राप्त होगा।