बैकुण्ठ चतुर्दशी
शास्त्रों में कहा गया है कि एक हजार कमलों से जो भगवान विष्णु का तक कर शिव अर्चन करते हैं, वे मनुष्य भव बंधनों से मुक्त होकर ठठ धाम जाते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को यह ब्रत किया जाता है। इस तिथि को बैकुण्ठवासी भगवान (विष्णु) की विधिवत् पूजा करके तथा स्नान आचमन कराके बाल भोग लगायें। तत्पश्चातू् प्रसन्न मन से पुष्प, दीप, चन्दन आदि सुगन्धित पदार्थों से आरती करें।