सावन के गीत ( चौमासा ) 6
बैठे राजा तखत बिछाए,कोई चिठियाँ तो आई दक्खिन देश से उठो गोरी दिवला जगाओ, न देश से जी महाराज।
चिठियाँ तो आई दखिन देश से जी महाराज। हम पे राजा उठा न जाए,
कोई चन्दा उजाले चिट्ठी बाँचलो जी महाराज। किन किन लिखी है राम-राम दही
कोई किन किन को आई राजा चाकरी जी महाराज सब को लिखी है राम-राम,
कोई हमको तो लिखी बैरन नोकरी जी महाराज। अबके तो राजा सुसरा जी को भेजो,
चौमासे राजा घर रहो जी महाराज। बुडढे बाबुल भेजे न जायें, गोरी
जिनके तो बेटा गाबरू जी महाराज। अबके तो राजा जेठा जी को भेजो,
चौमासे राजा घर रहो जी महाराज। बडै भैया भेजे न जाएँ गोरी
उनको तो क्यवारी कन्या ब्याहनी जी महाराज। अबके राजा देवर जी को भेजो,
चौमासे राजा घर रहो जी महाराज। छोटा भैया भेजा ना जाए गोरी,
ह उनके तो नई बन्नी कामिनी जी महाराज।
अबके राजा नन्दोई जी को भेजो,
चार महीने राजा घर रहो जी महाराज। जीजा जी को भेजा न जाए, गोरी
चार भाइयों की बहना लाडुली जी महाराज।
लिखी हमारी ऐसी तकदीर, जाए राजा दक्क्खिन देश रहियो दिल लगाए गोरी जी महाराज।