सावन के गीत (4)
आया री सासड -सावन मास, बेटा बटा. दे री पीले पाट का। म्हारे तो री बहुअड! बेड़े की आन, जाए बटाइयो री अपने बाप व है तर ह । यों री सासड! थारे बेडे की आन, पूत कवारे री क्यों न! रख
ल य है । सुन-खुन रे बेटा बहुहड़ के बोल, बहुअड़॒ तो बोले हमको बोलियाँ। झूठे तो री अम्मा! झूठे हैं बोल, बहुअड़॒ न! बोले तुमको बोलियाँ। जो रे बेटा! तुझे नहीं एतबार, कोठे पै चढ़के सुन लियो। उठ उठ री बहुअड़ पीसना संजोय, चक्की पै धरा तेरा पीसना। फोर्ड तो फोडूँ सासड़ चक्की के पाट, बगड़ बखेरूँ री तेरा बोलियों। कहो तो री अम्मा मन से बिसारूँ, कहो तो भेजूँ इसके बाप के! काहे तो रे बेटा मन से ना बिसार। नाहीं तो भेजो इसके बाप के कहो तो बेटा बेडा बटा दू पीले पाट का, बहुअडु तो हमरी लाज र ।
जी.