सावन गीत 3
सावन आया अभमम्माँ मेरी रंग भरा जी, ऐजी कोई आई है हरियाली तीज जी। घर-घर झूला झलें कामिनी जी।॥। सावन आया …… वन-वन मोर पपीहा बोले जी, । ऐजी कोई गावे गीत मल्हार जी। | ह कोयल कूकत अम्बुआ की डार पे जी।। सावन आया ……. बादल गरजे, अर धमके बीजली जी, ऐजी कोई उठी है घटा घनघोर जी। ु ‘ थर-थर हिया अम्माँ मेरी काँपता जी।। सावन आया…
४४ पाँच सुपारी नारियाल हाथ में जी बा हि एजी कोई पंडित तो पूछन जाए। ह कितने दिनों में आवें पिया रह पतरा तो लेकर पंडित देख जी… रे जी॥ सावन भा एजी कोई जितने नल में पात जी। उतने दिनों में आवें इतने में कुण्डा अम्माँ मोरी खुड़किया थी जी। सावन आशा _ एजी कोई घोड़ा तो हिनसा द्वार जी। < डंगे डग महलाँ आए पिया घोड़ा तो बाँधों घुडसाल में जी ऐ पिया प्यारे जी॥ सावन आया, ऐजी कोई चाबुक रखियो संभाल जी। | । पैर पखारूँ उजले दूँ में जी॥। सावन आया