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सावन के गीत (5) – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

सावन के गीत 

झटपट खोलो बागों का ट्वार, झूले पै झूले लाड़ो हमारी जी, झोटे तो दे रहा फौजी भरतार, घिर-घिर आई घटा घनघोर जी, बरसन लागा मूसलधार, सब सखियाँ अम्माँ भेरी भागियाँजी, हमसे तो भागा ना जाए, पायल गड़ गई अम्मां मेरी कीच में जी, बिछुओं में भर गया बालू रेत, चोली तो भीजी अम्मां मेरी रेशमी जी, चुनरी तो भीजी लाल गुलाल, सब सखियाँ बेटी तेरी बाहुड़ी जी.
तुमने लगाई क्‍यों देर, फौज छरटरी उनमें से बिछडा एक सवार, हंम इसमें तो लय इतनी देर, चिडियों

टियों ही, बाबुल का देश, झटपट ग्ोलो झूले पे झूले लाड़ो हमारी जी, झोटे तो दे रहा

हमारे सख्त, पर्च, लीज प्रख॑ स्थीड़ार के 1५

थी, अम्मां सुल्तान की जी, हँस पुछे अम्मां मरी खात जी, ने छोड़ा, अम्मा मरी घॉसला जी लो थ्यागों का द्वार, फौजी भग्तार जी

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