माला
यमुना किनारे बेठ कर हम सुमिरन करते थे रस्ते में मिल गये सावरे मेरी माला ले गये जी में रोती रोती घर में आई मेरी माता पूछे जी किन बेटी तेने मारी छेड़ी किन हाऊ डराई जी ना माता में छेड़ी ना हाऊ उराई जी रस्ते में मिल गया साँवरा मेरी माला ले गया जी बो तो तेरी काठ की सोने की गढ़ा दूँगी सोने गढ़ रू लाइली सच्चे जड़ा दूँ में जाए मंदिर में सो गई सपने में दिखे जी मेरा हाथ पकड़ बेठे रहे मेरी माला दे गये जी ओर से माला के बदले मुझे दर्शन हो गये जी