ऐसो को उदार जग माहीं
मर्यादा-पुरुषोत्तम श्रीरघुनाथजी को पता लगा कि उनके परम भक्त विभीषण को कहीं ब्राह्मणों ने बाँध लिया है। श्रीराघवेन्द्र ने चारों ओर दूत भेजे, पता लगाया और अन्त में स्वयं वहाँ पहुँचे, जहाँ ब्राह्मणों ने विभीषण को दृढ़ श्रृद्डलाओं से बॉधकर एक भूगर्भगृह में बंदी बना रखा था।