Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
सूरत सुहागन नार हे तुं सत्संग में आइए।
जन्म-२ के पाप हे तूं तार भगाइये।।
ओहंग की तूँ लाडली है सोहंग चित्त लाइये।
सुन्न शिखर में बालमा, उसतें लौ लाइये।।
सुन्न शिखर में बालमा, उसतें लौ लाइये।।
रंग महल में जाए के, तूं उल्टी आइये।
उस मालिक की सेज का हे, सब हाल सुनाइये।।
उस मालिक की सेज का हे, सब हाल सुनाइये।।
ज्ञान ध्यान से चेतन हुआ, खुली अगम किवाड़ी।
त्रिवेणी के घाट पै, तूं मलमल नहाइये।।
त्रिवेणी के घाट पै, तूं मलमल नहाइये।।
घीसा सन्त साहिब मिले, दो अँखियाँ लाइये।
जितादास अधीन का हे, तूं दुख निर्वाइये।।
जितादास अधीन का हे, तूं दुख निर्वाइये।।