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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
सुन सूरत सयानी हे, रँगी हर प्रेम मई।
मत होए दीवानी हे, नवेली प्रीत नई।।
रंग भीनी रजनी हे,निकट दयाल भई।
वे सभी बतावें हे जो हर महल गई।।
वे सभी बतावें हे जो हर महल गई।।
स्वामी गुमानी जी, चरणां हम लाये लइ।
कह नित्यानन्द बाद भाग, सवेरे भेंट भई।।
कह नित्यानन्द बाद भाग, सवेरे भेंट भई।।