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दुष्ट की सगति – न्याय की जीत” (The Company of the Wicked – Triumph of Justice)

दुष्ट की सगति

संगति बुरी असाधु की
आठों पहर उपाधि।।
एक थका हुआ यात्री एक तालाब के पास वृक्ष की छाया में लेट गया। कुछ समय बाद यात्री के मुँह पर धूप आ गई। एक हंस को उस पर दया आ गई। वह धूप आने के स्थान पर अपने पंख फैला कर बैठ गया।
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एक उड़ता हुआ कौआ वहाँ आया और उसने पथिक के ऊपर बीट कर दी एवं उड़ गया। पिथिक जब जागा तो उसने अपने ऊपर बीट को पड़ा | हुआ देखा तथा ऊपर हंस को बैठे देखा। पथिक ने समझा कि इसी ने बीट की है। उसने अपनी जेब से पिस्तौल निकाल कर हंस को मार दिया।
यह है दुष्ट की संगति का फल उपकार करने के बाद भी उसे अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा।
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