सगाई (1)
खेलत-खेलत राधा गई है ब्रज में, नन््द रानी कोर बुलाई हो राम। हरा-हरा गोबर राधा, पीली-पीली माटी, मुलियन चौक पुगाया हो राम। अंदन चंदन के राधा पटरे बिछाये, ऊपर राधा बिटाई हो राम। छोटा सा लड़का री राधा गऊ चरावे, उप्र धोर बिठाया हो राम। अरी जरी की राधा चुंदडी उड़ाई, ऊपर जरद किनारी हो राम। पाँच बताशे री राधा सारी मिठाई, मेवा से गोद भराई हो राम। आप भी खाइयो राधा सखियों ने दीजो, घर लेके मत जाइयो हो राम। आज तो आई राधा फिर मत आइयो, यहाँ तेरी हुई है सगाई हो राम। राधा की माता यूँ उठ बोली। संग की सहेली सब घर आई तूने कहाँ देर लगाई हो राम। खेलत-खेलत माता गई थी ब्रज में, नन्दरानी कोर बुलाया हो राम। हरा-हरा गोबर माता पीली-पीली माटी, मुतियन चौक पुराया हो राम। अंदन-चंदन के माता पटरे बिछाये, ऊपर हमको बिठाया हो राम। छोटा सा लड़का री माता गऊए चरावे, उम्र घोर बिठाया हो राम। अरी-जरी की माता चुँदड़ी उढाई, ऊपर जरद किनारी हो राम। पाँच बताशे री माता सेर मिठाई, मेवा से गोद भराई हो राम। आप भी खाइयो राधा सखियो ने दीजो, घर लेके मत जाइयो हो राम। आज तो आई राधा फिर मत आइयो, यहाँ तेरी हुई है सगाई हो राम। देखो री मेरी अगड़ पड़ोसन, दोरानी-जिठानी राधा ने कैसी लजाई हो राम।