सगाई (2)
वृषभानु की कँवर लाडली नन्द जी के द्वारे पहुँची हो राम। उस नन्द रानी ने हेलो मारा, या ही से करूँगी सगाई हो राम। सारा तो गहना पहनाया, नोलख हार पहनाया राम। छम-छम तो पायल पहनाई, सारा ही शहर सराहे। मेरी राधा गोरी कृष्ण हर सॉवला हरे राम। खेल-माल राधा घर को आई, माता पूछन लागी राम किसके द्वारे खेलन गई थी, कौन तेरा करा है सिंगार। नन््द जी के द्वारे खेलन गई थी, नन््द रानी ने करा सिंगार। सारा तो गहना पहनाया, नौलखा हार पहनाया माँ। छम-छम तो पायल पहनाई, सारा ही शहर सराहे माँ। मेरी राधा गोरी कृष्ण हर साँवला हरे राम। राधा तो मेरी भोली-भोली और कुछ ना जाने राम!
उस नन्द रानी से यूँ कह दीजो, ना करूँ काले से। ना करूँ गूजर से सगाई, मेरी राधा गोरी कृष्ण हर साँवला हरे राम। नन्न्द जी के हरे बाग में, राधा खेलन चली राम। राय चमेली का फूल तोड़ा, डस गया काला नागा नन््द जी के वो हरे बाग में नौ-नौ मेदा चाले राम। जो मेरी राधा को अच्छी कर दे, उसी से करूँगी सगाई। मोर पंखी ले आए कृष्ण जी, राधा को झाड़ा दीना राम। उस वषभानु ने हेलो मारा, ये ही से करूँगी सगाई। मोर पंखी आए कृष्ण जी, राधा को झाड़ा दीना राम। उस वृषभानु ने हेलो मारा, ये ही ये करूँगी सगाई। मोती चूर मगध के लड्डू, नन््द जी के द्वारे भेजे राम। उस नन््दरानी से यूँ कह दीजो, सारे ही शहर बटाये। कान्हा तो मेरा भोला-भाला, और कुछ न जाने राम। उस बृजभानु से यूँ कह दीजो, ना कर काले। ना कर गूजर से सगाई, मेरी राधा गोरी किशन हर साँवला हरे राम… राधा तो मेरी भोली-भाली, और कुछ ना जाने राम। उस वृषभानु से यूँ कह दीजो, पलकों के ऊपर हृदय के भीतर राखे, मेरी राधा गोरी, किशन हर साँवला हरे राम।