तु कहे तो सब ठीक
रात को एक लाला जी दूकान बन्द कर आये तो उनकी पत्नी ने लालाजी का हाथ पकड़ा तो वह बोलो – आपका शरीर तो गर्म हो रहा है। लगता है आपको तो बुखार हो गया।
यह सुनकर वह बिस्तर पर लेट गये। थोड़ी देर में उनका हाथ ठंडा हो गया तो सेठानी कहने लगी कि तुम्हें तो जाड़े मे बुखार हो गया है और रोने लगी। सेठ ने सोचा कि अब तो मरने का समय आ गया है। इसलिए सेठानी को हिसाब किताब समझा देना चाहिए।
वह बहियों को लाकर सेठानी को हिसाब समझाने लगे तथा सेठानी से बोले – अन्तिम समय में मुझे हलुवा बनाकर तो खिला दो। सेठानी रोती – रोती हलुवा बना रही थी।
इतने में बेटे ने आकर माता से रोने का कारण पूछा। सब समाचार सेठानी ने बेटे को बताये, तो लड़के ने पिता की नाड़ी देखकर कहा – ये तो जीवित हैं। इस पर सेठ जी बोले – कि “तू जो कहता है वह सही हो सेठ जी तुरन्त उठकर बैठ गये और कहने लगे कि अभी बाजार जाकर दूध पीकर आता हूँ।