कामना वश बिना विचारे प्रतिज्ञा(वचन) देने से विपत्ति
बहुत पहले अयोध्या में एक राजा रहते थे ऋतध्वज | महाराज रुक्माड्रद इनके ही पुत्र थे। ये बड़े प्रतापी और धर्मात्मा थे। इनकी एक अत्यन्त पतिव्रता पत्नी थी-विन्ध्यावती। उनके गर्भ से जन्म हुआ था धर्माड्गभद का, जो पितृ भक्तों में सर्वप्रथण तथा अन्य धर्मो में अपने पिता के ही तुल्य थे। महाराज रुक्माड्रद को एकादशी व्रत प्राणों से भी प्यारा था।