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आस माता की पूजा: देवी की महिमा और आराधना का प्रतीक

आस माता की पूजा 

आस माता का ब्रत फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक किसी भी दिन देखकर एक दिन करलें। व्रत के दिन कहानी सुनें। एक पर एक जल का लोट रखें। लोटे पर रोली का सतिया बनायें। चावल ही चढ़ये सात दाने गेहूं के हाथ में लेकर आस माता की कहानी सुनें। हलवा, पूरी , रुपये रखकर बायना निकालें। सासूजी के पेर छूकर दें और बाद में खुद जीम लें। अगर किसी के बेटा हो या विवाह हो तो आस माता का उद्यापन कर सात जगह चार-चार पूड़ी और हलवा रखकर उसके ऊपर एक तीयल और रुपये रखकर हाथ फेर कर सासूजी के पैर छूकर दें।
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