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आस माता व्रत की कहानी: देवी आस माता का उद्धार और व्रत का महत्व

आस माता व्रत की कहानी 

एक आलसिया था। वह जुआ खेला करता था और वह हारे या जीते पर ब्राह्मण को जिमाता था। एक दिन उसकी भाभियां बोलीं कि तुम तो हारो या जीतो, दोनों का ब्राह्मण जिमाते हो, ऐसे कब तक चलेगा ओर उसे घर से निकाल दिया। वह घर से निकल कर शहर में चला गया और आस माता की पूजा करने बैठ गया। सारे शहर में खबर फैल गई कि एक जुए का बहुत अच्छा खिलाड़ी आया है। तो यह सुनकर उससे राजा खेलने आया। राजा जुए में सारा राज पाट हार गया। अब वह राजा बन गया और राज करने लगा। भाभियों के घर में अन्न की कमी पड़ गई इसलिए वह उसे ढूंढने निकल गई। और सब शहर पहुंच गए। वहां उन्होनें सुना कि एक आदमी जुए में सजा से जीत गया। तब वह उसे देखने के लिए गए। वहां उसकी मां में कहां कि मेरा बेटा भी यहीं पर जुआ खेलता है। हमने उसको घर से निकाल दिया था। वह बोला-माता जी मैं हीं तुम्हारा बेटा हूँ। तुम्हारी करनी तुम्हारे साथ, मेरी करनी मेरे साथ। उन लोगों ने अपने देश जाकर आस माता का उद्यापन करा दिया और सुख से राज्य करने लगा। हे आस माता! जैसा आलसिया बाबलियों को राजपाट दिया वैसा सबको देना।
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