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चेतावनी उपदेश
(भजन-ध्वनि बंजारा) ३६
क्या सोया
बेचैन मुसाफिर क्या सोया बेचैन ।
इस नगरी में चोर बसत है सर्वस धन हरि लेत। टेक
मोह निशा अज्ञान अंधेरी चहूंदिश छायो आत।
तुम सपना देखि अनोखा, मरख रह्यो लुभाया। टेक
काल खड़ा सिर पर तेरे तुझे न तनिक विचार |
ना जाने कब ले गया तेरा पकड़ अहार ।
पांव पसारे तू चल्यो, उदया भयो है मोर |
जाग देख संग चल दियो है, तेरे साथी और।
चेत सबेरे बावरे, फिर पाछे पछताय।
तुझको जाना दूर है रे कहैं कबीर जगाय

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