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चेतावनी गजल ३८
बने जो कुछ धरम कर ले यही एक साथ जायेगा।
टेक
गया अवसर न तेरे फिर के हरगिज हाथ आयेगा।
दिवाना बनके दुनिया में समय अनमोल खोता है।
दिये लाखों की दौलत भी न बच रहने तू पायेगा।
पडी रह जायेगी सारी तेरी अकड़ ठिकाने पर।
अब आके यम जकड़कर गरदन पकड़ धर दबायेगा।
कुटुम्ब परिवार सुत कोई सहायक होगा न कोई।
तेरे पापों की गठरी खुद तू ही सर पर उठायेगा।
गरभ में था कहा तुमने, न भूलूंगा प्रभु तुझको।
भला तू जायके अपना उसे क्या मुंह दिखायेगा।
तुझे तो घर में जंगल में तेरा ही खुद व खुदी बेटा।
सुखाके लकड़ियों के ढेर में तुझको जलायेगा।
कहें कबीर समुझाई, कहना मान ले भाई।
नहीं तो अपनी ठकुरा बृथा सारी गंवायेगा।
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