चेतावनी गझल ४१
प्रभु चरण में ध्यान लगाओ करो कभी।
परलोक अपना कुछ तो बनाया करो कभी। टेक
आठों पहर परपच्च में जाते हैं तुम्हारे ।
एक पल तो गुण गुरु का भी गाया करो कभी।
आखिर को यह ससार.. छट जायेगा तुमसे।
तुम भी तो इसको दिल से हटाया करो कभी।
ले ले किया तुमने जैसा धन को जोड़ के।
देने को कुछ हाथ उठाया करो कभी।
जब तक हिरदय में बन सके तब जरा दिया।
दुखियों की तरफ देख ले जाया करो कभी।
स्वारथ के लिए तो फिरते हो भटकते।
संतों के भी सतसंगत में जाया करो कभी।
है हित का तुम्हारे ही यह कहा कबीर का।
इसको न अपने दिल से भुलाया करो कभी।
36