चेतावनी गजल ५०
टूक जिंदगी बंदगी कर ले।
क्या माया मद मस्ताना रे ।
रथ गाड़ी सुखपाल पालकी।
हाथी घोड़े नाना रे।
सबका छोड़ काठ की घोड़ी,
इनी
चढ़ जाबे शमशामा रे।
पिताम्बर,
जरी
तू तो गजी चार गज ओढ़े,
पाट
कर तदबीर आखिरी खरच को,
वाफतवाना रे।
भरा रहे तोशखाना रे ।
मुकाम मिले
मंजिल दूर की जाना रे।
नहिं,
चौकी हाट दुकाना रे ।
जात जनक की,
नहीं पीछे
पछताना रे ।
कहैं कबीर चल जो कर यह,
रे।
वहीं पीछे पछिताना
जो कर यह,
घोड़ा यह मै दाना रे ।
मारग मोंहि
जीते जी ले
कहैं कबीर चल
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रथ गाड़ी सुखपाल पालकी।
हाथी घोड़े नाना रे।
सबका छोड़ काठ की घोड़ी,
इनी
चढ़ जाबे शमशामा रे।
पिताम्बर,
जरी
तू तो गजी चार गज ओढ़े,
पाट
कर तदबीर आखिरी खरच को,
वाफतवाना रे।
भरा रहे तोशखाना रे ।
मुकाम मिले
मंजिल दूर की जाना रे।
नहिं,
चौकी हाट दुकाना रे ।
जात जनक की,
नहीं पीछे
पछताना रे ।
कहैं कबीर चल जो कर यह,
रे।
वहीं पीछे पछिताना
जो कर यह,
घोड़ा यह मै दाना रे ।
मारग मोंहि
जीते जी ले
कहैं कबीर चल
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