कृष्ण भजन
रे मटकी टूट जावेगी ,मात मेरी छो में आवेगी ।
या मटकी और ले आऊं तने दिल जान ते चाहू।
या मटकी और ले आऊं तने दिल जान ते चाहू।
या मटकी और ले आऊं तने दिल जान ते चाहू॥
मैंने जो देर लगाई आज मेरा भाई हो जा नाराज।
मैंने जो देर लगाई आज मेरा भाई हो जा नाराज ।
बाप मेरे ते शिखावे गई , मात मेरी छो में आवेंगी ।
या मटकी टूट जावेगी , मात मेरी छो में आवेगी ॥
या मटकी तार तले धर दे , यार न सोच कदे करते ।
बाप तेरे ते ना घबराऊ , तने दिल जान ते चाहू ।
या मटकी और ले आऊं तने दिल जान ते चाहू॥
जांदे जी घबरावे से , क्यू घर में वार करावे से ।
जांदे जी घबरावे से , क्यू घर में वार करावे से ।
वा १०० १०० बात बनावे गई मात मेरी छो में आवेगी ॥
रोज में तेरे घर के घेड़े लाउ , तने दिल जान ते चाहू।
या मटकी और ले आऊं तने दिल जान ते चाहू॥
मान जा दीराज कर ले ओर , रे होजा चौगरदे के शोर ।
घनी मैने धमकावेगी , मात मेरी छो में आवेगी॥
यो लाराय शिशर आला आस , बल्मय का यो चेला खास।
में अपने साथ ले जाओ , तने दिल जान ते चाहू॥
में अपने साथ ले जाओ , तने दिल जान ते चाहू॥